अरमान
ये
सफ़र कुछ थम
सा गया है
घङी
का काँटा कुछ
रुक सा गया है
हर
पल है मेरा
नया इम्तहाँ
ना
जाने अरमान
कसौटियों पर
खरा उतरना
पदेगा इस बार?
जी
तो चाह्ता है कि एक
छलाँग लगाऊँ
और हर चुनौती को लाँघते हुऐं शिखर पर पहुचँ जाऊँ|।
पर दूर आसमान में उन टिम टिमाते तारों को देख एक एह्सास सा जागता है
और ये ईंसान हर चुनौती का सामना करने को तैय्यार हो जाता है।
फ़िर, मेरा ध्यान घड़ी के उस काँटे की ओर जाता है और वो मुझे चलता हुआ नज़र आता है
चलो अब मैं शामिल होता हूँ फ़िर से मंज़िल की इस दौड़ में
करता हूँ हर चुनौती का सामना दिलों-जाँ से|
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