यकीन

 

वोह तूफान ही क्या जो तबाह ना करे,

वो धूप ही क्या जो सुबह ना करे,

है नसीब लिखे  जो हाथो मे, वो रंग कभी तो दिखलाएगे,

घनघोर अंधेरे साए मे, तारे भी चमक फैलांगे |

 

है डग-मग  सी नाव सदा तू ,और उसपे  भावर मे झोंके है,

यू बहने  दे सैलाबो को जो खुदके अंदर रोके है,

है कश्ती तेरी, तेरा सागर, तू पार इसे कर जाएगा,

रख खुद पर ये नाज़ सदा, तुझे हालातों का भोझ ना झुकाएगा,

जो झुका है कदमों मे आके तेरे, वो वक़्त की कड़वी धारा है,

लेकर चल जीवन की रहो मे, जो तेरा एक सहारा है,

ना थमा कभी ना रुक कभी, तू वक़्त को भी हराएगा,

तू बेफ़िक्र मुसाफिर जिन रहो का, उस मंज़िल को भी पाएगा.

 

है इस दुनिया की रीत यही, हर एक का लिखा फसाना है,

कुछ ज़ख़्म लिखे है हाथो मे, कुछ लिखा खुशी का ख़ज़ाना है,

हाथ बढ़ा, जज़्बात बढ़ा, छूले  सूरज की किरणों को,

रख याद सदा, ये बात सदा, लहर डूबा ना सकी कभी परिंदो को|

 

अपूर्वा मिश्रा
MBA-IT
IIIT Allahabad