सब की तरह नक़ाब पहने जी रहा था मैं,

साँसे तो चल रहीं थी,

पर मौत को साथ लिए जी रहा था मैं!

कट रहा था तन्हा सफ़र बिना किसी आशिक़ी के,

ज़ुबान चुप थी, पर आँखों में,

किसी हमसफ़र की आस लिए,

जी रहा था मैं!!

 

Submitted By:

Tanmay Binjarika

iec2013038@iiita.ac.in

IIIT Allahabad

adminAbhivkyakti
सब की तरह नक़ाब पहने जी रहा था मैं, साँसे तो चल रहीं थी, पर मौत को साथ लिए जी रहा था मैं! कट रहा था तन्हा सफ़र बिना किसी आशिक़ी के, ज़ुबान चुप थी, पर आँखों में, किसी हमसफ़र की आस लिए, जी रहा था मैं!!   Submitted By: Tanmay Binjarika iec2013038@iiita.ac.in IIIT Allahabad