एक कहानी, शमा परवाने की ज़ुबानी
शमा के लिए परवाने बहुत थे,
पर उस छोटे परवाने के लिए शमा एक,
शमा का जादू चला उस पर,
खींचा चला गया वो शमा के पास,
पर इतना पास ना जा पाया की शमा का प्यार मिल सके !
वक़्त कटते रहा,
परवाना जलते रहा, तड़प्ते रहा,
पर चुप राहा,
उम्मीद थी उसे शमा देखेगी उसके दर्द को,
उसके प्यार को,
पर और वक़्त बिता, फिर भी वो नादान चुप रहा,
इस उम्मीद में की अब तो जलने के बाद मिलेगा उसे शमा का प्यार,
पर शमा ने ना देखा उसका हाल,
थामा बड़े परवाने का हाथ,
जिस्म तो जल चुका था उस नादान का , पर अब तो रूह की बरी थी,
पर इसमे भी उसकी मंज़ूरी थी !
दूसरे परवाने ने पूछा, ए नादान तुझे मिला क्या जल के,
तो उसने कहा,
पारने का तो मुक़द्दर ही होता है, शमा में जलना,
हम जल के खुस हैं क्योकि वो हमें जला के खुश है,
कहने उनसे,
की वक़्त के उस पार,
वहाँ मिलूँगा मैं !!
Submitted By:
Tanmay Binjarika
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IIIT Allahabad
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