हमने तो देखा था, हर पल उनको अपनी आँखों में,

अब उनके बिना चैन कहाँ साँसों में,

राहें तो मिली थी, मंज़िल को जो जानी थी,

पर तक़दीर को मंजूर कहाँ ये कहानी थी,

चुप थे हम, चुप थे वो,

और ना कोई ज़ुबानी थी,

 

दे तो दिया था, हमने अपना सब कुछ उन्हे,

पर उन्हे ये समझ में कहाँ आनी थी,

की उनकी मोहब्बत ही तो,

हमारी ज़िंदगानी थी!!

 

Submitted By:

Tanmay Binjarika

iec2013038@iiita.ac.in

IIIT Allahabad

adminAbhivkyakti
हमने तो देखा था, हर पल उनको अपनी आँखों में, अब उनके बिना चैन कहाँ साँसों में, राहें तो मिली थी, मंज़िल को जो जानी थी, पर तक़दीर को मंजूर कहाँ ये कहानी थी, चुप थे हम, चुप थे वो, और ना कोई ज़ुबानी थी,   दे तो दिया था, हमने अपना सब कुछ उन्हे, पर उन्हे...