बुलंदियों को पैमानों में न मापा करो

हसरतों के गुबार बना के तापा करो,

सियासत के ज़माने का कोई भरोसा नहीं

नजदीकियों से पहले दूरियां नापा करो |

 

जवाबों से पहले सवाल रखा करो

मंजिलों को थोड़ा मुहाल रखा करो,

जवानी के जोश को कहीं सर्द न लग जाये

हौसलो में भी थोड़ा उबाल रखा करो |

 

 

तरतीब से हर एक चाल रखा करो

हर हुनर में थोड़ा कमाल रखा करो,

कोई पहचान न ले इस भीड़ में तुम्हे

हाथो में हरदम गुलाल रखा करो |

 

मोहब्बत के बीच भी दीवाल रखा करो

खुश रहना है तो बवाल रखा करो,

कब कहाँ किसके साथ उड़ जायेगा

दिल को पिंजरे में जरा संभाल रखा करो |

Anurag Kumar Kushwaha

rit2015058@iiita.ac.in

adminAbhivkyakti
बुलंदियों को पैमानों में न मापा करो हसरतों के गुबार बना के तापा करो, सियासत के ज़माने का कोई भरोसा नहीं नजदीकियों से पहले दूरियां नापा करो |   जवाबों से पहले सवाल रखा करो मंजिलों को थोड़ा मुहाल रखा करो, जवानी के जोश को कहीं सर्द न लग जाये हौसलो में भी थोड़ा उबाल रखा करो...