हिदायत-ऐ-ज़िन्दगी
बुलंदियों को पैमानों में न मापा करो
हसरतों के गुबार बना के तापा करो,
सियासत के ज़माने का कोई भरोसा नहीं
नजदीकियों से पहले दूरियां नापा करो |
जवाबों से पहले सवाल रखा करो
मंजिलों को थोड़ा मुहाल रखा करो,
जवानी के जोश को कहीं सर्द न लग जाये
हौसलो में भी थोड़ा उबाल रखा करो |
तरतीब से हर एक चाल रखा करो
हर हुनर में थोड़ा कमाल रखा करो,
कोई पहचान न ले इस भीड़ में तुम्हे
हाथो में हरदम गुलाल रखा करो |
मोहब्बत के बीच भी दीवाल रखा करो
खुश रहना है तो बवाल रखा करो,
कब कहाँ किसके साथ उड़ जायेगा
दिल को पिंजरे में जरा संभाल रखा करो |
https://bcognizance.iiita.ac.in/archive/nov-15/?p=30AbhivkyaktiAnurag Kumar Kushwaha
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