गम का रास्ता
अब क्या हुआ है ये क्या पता ,
मुझसे ही हूँ मैं लापता ,
ढूंढता फिर रहा फिर भी मुझे ना मिलाये ,
इसीलिए मन करता है ठहर जाऊं,
पर क्या करूँ कमबख्त दिल ये नहीं मानता ,
अरे दोस्तों ये बताओ क्या यही है गम का रास्ता ?
यहाँ देखा वहां देखा ,
क्या पता यादों के कोहरे ने तुम्हें कहा छुपा के रखा था ,
अब इन्तजार है तो बस उस सूरज का जो इस कोहरे को हटा तुम्हे दिखा सके ,
पर क्या करूँ, मेरा हुआ, सिर्फ तन्हाई भरी ओस की बूंदों से वास्ता ,
क्या यही है गम का रास्ता … क्या यही है गम का रास्ता ?
जो सोचा था की तुम आओगी ,
दिल झूम सा गया था ,
क्या पता था इस दिल को की तुम अपनी परछाई दिखाने से भी कतराजाओगी ,
तभी तो कहता हूँ इस दिल से की संभलजा ,
पर क्या करे इस कमबख्त दिल का दुनिया के कुछ लोगों से है गहरा वास्ता ,
क्या यही है गम का रास्ता …..क्या यही है गम का रास्ता??
https://bcognizance.iiita.ac.in/archive/nov-15/?p=34AbhivkyaktiANUPAM CHAUDHARY
ROLL IEC 1202020
COURSE – B.TECH (ECE)