चालू तुम्हे साथ लेकर दूर कही तारो में…
उड़ते हुए बदलो में तैरती बहारो में…..

खुशियों की धूप जहाँ हर तरफ से आती हो…
छाव आकर के कानो में गुनगुनाती हो…

सुनातीं गीत हो हमको कई मोहब्बत के…
खुदा मेरी,, मुझको तेरी इबादत के….

चाँद को तोड़ कर माथे पे सजाउ तेरे…
धूप हांथो में मालू जुल्फों में काले अँधेरे…

घटाओ से कहु जरा प्यार की बारिश कर दे….
हवाओ से कहू मानिंद थोड़ा हो जाए….

मेरी खुदा मेरी महबूब तुम्हारे खातिर….
कहू इन पंछियो से थोड़ा धीरे चहचहाए…

चलो उन बदलो के पीछे छिप जाए…
चलो एक आसमा पे घर बनाए…..

खुदा करे मेरे हिस्से की भी सारी खुशियां….

Brijesh Kumar Awasthi

IMP2014002

adminAbhivkyakti
चालू तुम्हे साथ लेकर दूर कही तारो में... उड़ते हुए बदलो में तैरती बहारो में..... खुशियों की धूप जहाँ हर तरफ से आती हो... छाव आकर के कानो में गुनगुनाती हो... सुनातीं गीत हो हमको कई मोहब्बत के... खुदा मेरी,, मुझको तेरी इबादत के.... चाँद को तोड़ कर माथे पे सजाउ तेरे... धूप हांथो में मालू...