देश पधारो
तोरे बिन दिन रैन कटे ना,..
तोरे बिन अँखियाँ प्यासी..
देश पधारो प्रियतम मोरे…
ओ मोरे मन के वासी ..
तोरे बिन मोहे सावन बैरी लागे है …
तोरे बिन मोहे भोर , दोपहरी लागे है..
तोरे बिन न शाम सुनहरी लागे है..
मोहे बैरन बोल पपिहरी लागे है ..
छूती तन को मस्त बयरिया …
तोरी याद दिला जाती…
देश पधारो प्रियतम मोरे…
ओ मोरे मन के वासी…..
बृजेश अवस्थी
https://bcognizance.iiita.ac.in/archive/nov-15/?p=53AbhivkyaktiBrijesh Kumar Awasthi
IMP2014002