तेरे हाथो के लिखे खत मैं जलाऊ कैसे ?
तेरी यादो को भला दिल से भुलऊ कैसे?
हमने बचपन में सजाए जो महल ख्वाबो के,
उन महल को मैं भला आज मिटाऊ कैसे ?
क्या मिला मुझको वफाओ से पूछते है वो?
जख्म दिल पे जो मिले है वो दिखाऊ कैसे ?
नफ़रत उनको भी उजालो से है मगर फिर भी,
आग दिल में जो लगी है वो बुझाऊ कैसे?
आज मंजिल पे पहुंच आया हूँ तन्हा हो यहाँ,
महफ़िल खुशियो की अकेले मैं सजाउ कैसे?
वो तो कहते है सरे आम इश्क़ ठीक नहीं,
तो अपनी आँखों से भला प्यार छुपाऊ कैसे?

Dharmesh Dixit
B.Tech 4rth year
Tulas Institute of Engineering and Management Dhoolkot, Dehradun

adminAbhivkyakti
तेरे हाथो के लिखे खत मैं जलाऊ कैसे ? तेरी यादो को भला दिल से भुलऊ कैसे? हमने बचपन में सजाए जो महल ख्वाबो के, उन महल को मैं भला आज मिटाऊ कैसे ? क्या मिला मुझको वफाओ से पूछते है वो? जख्म दिल पे जो मिले है वो दिखाऊ कैसे ? नफ़रत उनको भी...