Category Archives: Abhivkyakti

Straight from the Heart!

Was it worth realizing their worth, when it was just not meant to be. But still, i refuse to give them up, because they are just too stubborn to leave me! I raised them, i nurtured them, i gave them time to grow. i allowed them to die away or blossom or mature! And all


बीत जाएँगे कल

हम हैं अब यहाँ, कल ना जाने होंगे कहाँ, याद आएँगे वो भी रास्ते , जो बीत जाएँगे कल यहाँ !   मौसम भी सुहावना था, यादों सा तराना था, मिल के साथ चले थे हम, जब ना रास्तों का कोई ठिकाना था !   वक़्त जब पास हो, यारों का भी साथ हो, एक


ज़िंदादिल

एक ज़िंदा दिल की कहानी लिखे जा रहा हूँ, वक़्त को पीछे छोर्ने की चाह को जिए जा रहा हूँ, ज़िंदगी में बहुत कुछ है हासिल करने को, आखों में सपने, और जिगर में तूफान लिए जा रहा हूँ,   एक ज़िंदा दिल की कहानी लिखे जा रहा हूँ !   मौसम चाहे कितनें भी


अबकी जब तुम वापस आओ

अबकी जब तुम वापस आओ, दो नैना भी ले आना कब से काला देख रहा हूँ, कुछ रंग उठा कर ले आना धड़कन भी चलती है, जिन्दा भी हूँ, पर कुछ महसूस नही होता अबकी जब तुम वापस आओ, एहसास उठा कर ले आना ना जाने क्यू सब भिगा- भिगा है, ये बारिश का मौसम भी


मैं अकेला रह गया

ख्वाब, चाहत, ख्वाहिसे, सब छीन के तुम ले गए मैं यहाँ बाकि अकेला रह गया शाम तक खेली थी खुशियाँ जिस मकां की ओट में रात होते ही वहा, गहरा अधेरा रह गया कहकसा भी अब तरसती चाँद को अब गगन में बादलों का बस बसेरा रह गया जिंदगी की ये अमावस और भी लम्बी


SAMARPAN

जिंदगी ये तेरी बस तेरी नही, कोई तुझ से जुड़ा है शायद तुझे खबर नही. मुस्काए जो मन तेरा तो बेवजह वो हसदे, जिंदगी सवारने को तेरी जीवन समर्पित कर दे. स्नेहल हाथ सदा तेरे सरपे फिराए, चाहे आसमा की ऊचाइयां तू छू जाये. मौन भाव में सब कुछ तुझे बताये, काँटों की राह में


DUKH KE BADAL

दुःख के बादल क्यों नहीं छटते , बारिश बनकर आंसू बहते , शोक नदी में मेरा मन लहराए, अमूल्य जीवन यूही डूबा जाये, सुख का सूरज क्यों है लाचार, क्यों मूक देखता अत्याचार, कष्ट पहाड़ हम पर ही ढहते, हितकारी इश्वर अब क्या कहते, दुःख के बादल क्यों नहीं छटते , बारिश बनकर आंसू बहते


DOR YE KITNI NIRBAL NIKLI…

डोर ये कितनी निर्बल निकली, भाव सरिता ये कितनी छिछली | भूल के सारी यादे पिछली, रस खत्म पुष्प से उड़ गयी तितली | मन क्यों लांघे तुच्छ सीमाए, हैं बंधी हुयी अब भी आशाएं | अब तो कोई अपराध बताये, जिस की खातिर मिली सजाएं | क्या दर्शाने को जीवन नीरसता, रची है तुने


AB KAUN PARIKSHA LEGA MERI……

अब कौन परीक्षा लेगा मेरी, क्या वो जिससे है कटुता मेरी, या शायद वो जिससे सब मांगूं, या वो जिससे हैं खुशियाँ मेरी |   न जानो यह कम जोर प्राण हैं, ज्वलित हृदय यह तार तार है, दृढ़निश्चय है मेरे मन का, आग छुपी भोलेपन की आड़ है |   बरसेगी ये संकल्पों की बदरी,


Below The Black Visor

Sunsets turning the blue sky red, slowly the black visor is drawn. Accompanied with colour of ambiguity, hiding the dusk, leaving longings for dawn. Why breeze of morning called cold wave of night? Sweet chirping of morning birds is called night’s bad omen Silence of old church in morning is called serenity, But its visit